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Showing posts from November, 2018

पौरुष ग्रन्थि का बढ़ जाना (ENLARGEMENT OF PROSTATE GLAND), लिंग की चमड़ी उलट जाना, लिंग मुण्ड का न खुलना, (PHIMOSIS), जन्मजात निरुद्धता (CONGENITAL PHIMOSIS)

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  पौरुष ग्रन्थि का बढ़ जाना (ENLARGEMENT OF PROSTATE GLAND) रोग परिचय कारण एवं लक्षण:- इसमें पौरुषग्रन्थि बगैर सूजन के बढ़ जाती है। यह रोग बिना कीटाणुओं के आक्रमण से हो जाता है। यही कारण है कि इसमें दर्द और ज्वर आदि नहीं होता है। प्राय: यह रोग 50 वर्ष की आयु के बाद ही होता है। प्रारम्भ में मूत्र में कुछ कठिनाई और रुकावट सी आती है, बाद में मूत्र बिना कष्ट के, सामान्य रूप से आने लगता है। रोग बढ़ जाने पर मूत्र बार-बार आता है, मूत्राशय मूत्र सें पूरा खाली नहीं होता, कुछ न कुछ मूत्र मूत्राशय में रुका ही रह जाता है। मूत्र करते समय रोगी को ऐसा महसूस होता है कि जैसे कोई चीज मूत्र को बाहर निकलने से रोक रही है। इस रोग के मुख्य कारण अत्यधिक मैथुन तथा अत्यधिक सुरापान है। यह रोग प्रायः तर मौसम (तर जलवायु) में रहने वालों को अधिक हुआ करता है। चिकित्सा:- इस रोग में खट्टे, ठन्डे और तर भोजनों और तरकारियों तथा देर से पचने वाले भोजनों यथा-दही, मट्टा, गोभी, बैंगन, अरबी (घुइयाँ) आदि का पूर्णतयः निषेध है। रोगी को मैथुन न करने की हिदायत दें। 'सोये के तैल' की मालिश करें। यदि औषधियों से रोगी ठीक न हो

गले का बैठ जाना, नकसीर का उपचार, भिरड़ व मक्खी के काटने पर, साँप के काटने पर

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गले का बैठ जाने का उपचार  दोस्तो गले का बैठ जाना एक आम बात है। जैसे कोई ब्यक्ति ज्यादा तेज आवाज में बोलता हो, तेज आवाज में गाना गाता हो, या सर्दी, जुकाम, बुखार आदि कारणों से गला बैठ गया हो तो परेशान न हों यह कोई बड़ी समस्या नहीं है। आइए जानते हैं कुछ घरेलू नुस्खे। सर्दी, जुकाम या अन्य कारणों से गला बैठ गया हो तो, रात को सोते समय 4-5 काली मिर्च बताशों के साथ चबाकर सो जाएँ। इससे स्वर भंग सर्दी जुकाम ठीक हो जाता है। इससे गला भी तत्काल खुल जाता है। गर्म वस्तु के सेवन के पश्चात ठण्डा खा लेने पर अक्सर गला बैठ जाता है। ऐसे में 1 ग्राम मुलेठी के चूर्ण को मुँह में रखकर कुछ देर चबाते रहें फिर बैसे ही मुँह में रखकर सो जाएँ। प्रातः काल उठने पर गला एक दम साफ मिलेगा। नकसीर का उपचार  कारण:- अधिक गर्मी या ज्यादा देर तक तेज धुप में रहने के कारण भी नकसीर फूट जाती है। किसी ब्यक्ति को उच्च रक्तचाप होने के कारण भी नकसीर फूट जाती है। बच्चों में ज्यादा खेलने भाग दौड करने से तथा गर्म वस्तुओं के सेवन करने से भी नकसीर फूट जाती है।  सावधानियाँ:- तेज धूप में खुले सिर नहीं जाना चाह

भरवाँ केला बनाने की विधि, मटर व गाजर की सब्जी बनाने की विधि, दम आलू बनाने की विधि

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1. भरवाँ केला बनाने की विधि  सामग्री:- 200 ग्राम कच्चे केले, 200 ग्राम आलू, प्याज, लहसुन, अदरक, हरी मिर्च, हल्दी, नमक, जीरा, गर्म मसाला, धनिया, खटाई, घी आदि। विधि:- केलों को लेकर छील लीजिए और बीच से थोड़ा गूूूदा निकाल दीजिए। आलुुुओं को उबालकर व छीलकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लीजिए। प्याज व  लहसुन को कढ़ाही में तल लीजिए। प्याज का रंग गुलाबी हो जाने पर कटे हुए आलुओं को डालकर सभी मसाले डाल दीजिए और थोडी देर तक भूनिए। अब केलों में आलू भरकर कढ़ाही में थोडा ज्यादा घी डालकर केलों को उसमें डालकर ढ़क दीजिए। मन्दी आँच पर पकाइए। और गल जाने पर उतार लीजिए। सावधानियाँ:- केलों का छिलका अच्छी तरह से थोड़ा मोटा उतारिए अन्यथा गलाने में परेशानी होगी तथा स्वाद में कसैलापन रहेगा। केलों के निकाले हुए भाग को भी आलुओं के साथ भून लीजिए । 2. आलू, मटर व गाजर की सब्जी बनाने की विधि सामग्री:- गाजर - 250 ग्राम, आलू - 250 ग्राम,  मटर के दाने - 1/2 कप,  टमाटर - 150 ग्राम,  हरी मिर्च - 2,  सरसों का तेल - 2 टेबल चम्मच,  हरा धनिया - 2 चम्मच (बारीक कटा हुआ),  जीरा - 1/2 छोटी चम्मच,  हिंग -

भोजन बनाने में ध्यान रखने योग्य मुख्य बातें, व्यवहारिक ज्ञान तथा सावधानियाँ

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भोजन बनाने में ध्यान रखने योग्य मुख्य बातें  प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि भोजन बनाना एक अति आवश्यक, उपयोगी तथा महत्वपूर्ण है । इस पर ही भोजन की गुणवत्ता, स्वाद, पौष्टिकता तथा आकर्षण आदि निर्भर करते हैं। अतः आवश्यक है कि भोजन बनाने के कार्य को विशेष सावधानीपूर्वक सम्पन्न किया जाए तथा अभीष्ट परिणाम प्राप्त किए जायें। भोजन बनाने के सन्दर्भ में सदैव निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए - भोजन चाहे किसी भी विधि या माध्यम द्वारा बनाया जाए, प्रत्येक स्थिति में विभिन्न बर्तनों की आवश्यकता होती है। भोजन बनाने में बर्तनों का विशेष महत्व होता है। इस स्थिति में भोजन बनाते समय बर्तनों की सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। यदि बर्तनों का समुचित ध्यान न रखा जाए तो उनमें पकाया जाने वाला भोजन दूषित अथवा विषाक्त हो सकता है। पीतल के बर्तनों का विशेष रूप से ध्यान रखना आवश्यक होता है। इन बर्तनों में यदि ठीक प्रकार से कलई न हो तो उस स्थिति में इनमें पकाया जाने वाला भोजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक एवं विषाक्त भी हो सकता है। भोजन बनाने वाले व्यक्ति का स्वच्छ रहना तथा इस कार्य में सहायता करने

सिर में रूसी (डेंड्रफ) का उपचार

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सिर में रूसी (डेंड्रफ) की उपचार विधि       1. यदि सिर में खुश्की और रूसी हो तो नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर रात को सिर में मलें और सुबह गुनगुना पानी और रीठे के पानी से सिर धो डालें । 2-4 बार यह क्रिया करने से ही सिर की खुश्की और रूसी नष्ट हो जाती है । 2. रीठे का शैम्पू रूसी में उतना ही कारगर है । जितना कोई आधुनिक फार्मूले का शैम्पू । बाल टूटने पर बालों को साबुन से न धोएँ रीठे से धोना चाहिए । यदि बाल भी टूटते हों तो हर चौथे दिन सिर को धोना चाहिए । 3. रात को रीठे के छोटे छोटे टुकडे करके पानी में भिगो दें । सुबह उस पानी को मसल कर उससे सिर धोने से काले लम्बे और घने होते हैं । खुश्की और रूसी नष्ट हो जाती है । 4. नारियल का तेल 100 ग्राम, कपूर 4 ग्राम, दोनों को मिलाकर शीशी में रख लें । दिन में 2 बार स्नान के बाद बाल सूख जाने और रात में सोने से पहले सिर पर खूब मालिश करें । दूसरे दिन से रूसी में लाभ होता है । बाल धोने से पहले कम से कम आधा घंटा पहले एक नींबू काटकर मलने से और फिर हल्के गर्म पानी से धोने पर सिर की रूसी साफ हो जाती है । दोस्तो यह आर्टिकल आप अपने दोस्तो के

हकलाने व तुतलाने का उपचार

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                    हकलाने व तुतलाने का उपचार   1. बच्चे यदि एक ताजा हरा आँवला रोजाना कुछ दिन चबायें तो उनका हकलाना दूर हो जाता है । जीभ पतली और आवाज साफ आने लगती है । मुख की गर्मी भी दूर होती है । 2. बादाम की गिरी 7, काली मिर्च 7, दोनों को कुछ पानी में घिसकर चटनी सी बना लें और उसमें थोडी सी मिश्री मिलाकर चाटें । प्रातः खाली पेट पन्द्रह दिनों तक लें । तुतलाना और हकलाना दूर हो जाता है । 3. प्रातः मक्खन में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर खाने से कुछ ही दिनों में हकलाहट दूर हो जाती है । 4. तेजपात को जीभ के नीचे रखने से रुक रुक कर बोलना और हकलाना व तुतलाना ठीक हो जाता है । 5. फूला हुआ सुहागा शहद में मिलाकर जीभ पर रगडने से हकलाना ठीक हो जाता है । 6. मीठी बच, मीठी कूट, असगन्ध और छोटी पीपल को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें । रोजाना 1 ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से आवाज साफ होती है । और हकलाना दूर हो जाता है । 7. हरा धनिया और अमलतास के गूदे को पानी में पीसकर उसी पानी से 21 दिनों तक लगातार कुल्ले करने से जीभ पतली होकर हकलाहट दूर हो जाती है । दोस्तो यह आर्टिकल शेयर ज

मोतियाबिंद, दाँत दर्द व मुँह के छालों का उपचार

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                        मोतियाबिन्द का उपचार 1. असली चन्दन घिसकर प्रतिदिन आँखों में लगाने से मोतिया आयेगा नहीं । 2. मोतियाबिन्द की प्रारम्भिक अवस्था में शहद को सलाई द्वारा आँखों में लगाने से मोतिया का बढना रुक जाता है । 3. फिटकरी भस्म 5 ग्राम, गुलाब जल 50 ग्राम में मिला लें रोजाना सुबह और रात 2 - 2 बूंद आँखों में डालें । मोतिया नहीं रहेगा, अगर है तो बढेगा नहीं, नजर कम नहीं होगी दुखती आँखों में न डालें । नोटः- मोतियाबिन्द का असली इलाज आपरेशन है । दाँतों के दर्द  का उपचार विधिः 1. लौंग 5 ग्राम कपूर 3 ग्राम दोनो को बारी क पी सकर दाँतों पर मलने से दाँतो के सब रोग दूर हो जाते हैं । 2. सेंधा नमक और सरसों का तेल दोनों मिलाकर मंजन कर ने से पायरिया, दाँतो का हिलना आदि सब रोग दूर हो जाते हैं । 3. यदि किसी सज्जन के दाँतो से चबाने पर दर्द होता है तो व ह सज्जन रात्रि को सोते समय थोडी सी पिसी हल्दी व सरसों के तेल का दाँतों पर लेप कर लें तथा सुबह कुल्ला कर लें स्मरण रहे कि लेप करने के बाद कुछ भी खाना पीना नहीं है । दाँतों का दर्द दूर हो जायेगा । 4. प्याज

मुँह की बदबू का उपचार

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मुँह की बदबू का घरेलू उपचार  बहुत से लोगों के मुंह से बदबू आती है और वह लोग काफी परेशानी का सामना । क्योंकि इसका इलाज ऐलोपैथी में नहीं है । अकसर लोग इसे छिपाने की कोशिश करते हैं, लेकिन इसे ठीक करने की कोशिश नहीं करते । इसलिए आज हम आपको आयुर्वेदिक व घरेलू औषधियां और उन्हें इस्तेमाल करने के तरीके बतायेंगे जिससे आपको इस परेशानी से हमेशा के लिए छुटकारा मिल सकता है । मुँह की दुर्गन्ध के कारण व लक्षण: मुँह से दुर्गन्ध आने वास्तविक कारण मुँह में किसी प्रकार की खराबी आना नहीं है, बल्कि यह छाती और पेट के विकार द्वारा उत्पन्न होती है । इसके अलावा भोजन करने के पश्चात दाँतों की सही ढंग से सफाई न करना भी इस रोग का दूसरा प्रमुख कारण है । सफाई के अभाव में दाँतों में फंसे भोजन के कण कुछ समय बाद सडने लगते हैं, जिससे मुँह से तेज दुर्गन्ध आने लगती है । इस रोग से बचने के लिए दाँतों की नियमित सफाई करना आवश्यक है । मुँह की दुर्गन्ध का उपचारः 1. मुनक्का: मुनक्का व इलायची के पाँच - पाँच नंग लें । एक मुनक्के के बीज निकालकर उसमें इलायची के दाने भर दें । इसे जल्दी - जल्दी निगलें नहीं, ब

चेहरे की झाइयां, दाग, धब्बे तथा फुन्सियों का उपचार

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चेहरे की झाइयां, दाग, धब्बे तथा फुन्सियों की उपचार विधि 1. रीठे का छिलका पानी में पीसकर लगाने से चेहरे की झाइयाँ और दाग धब्बे दूर हो जाते हैं । 2. एक चम्मच शहद, एक चम्मच कच्चा दूध मिलाकर लेप करें । पाँच मिनट बाद पानी से धो डालें । 3. चेहरे पर नींबू का छिलका अन्दर की तरफ से मलें । पन्द्रह मिनट बाद पानी से धो लें । इससे चेहरे की झाइयाँ मुहासे खत्म हो जाते हैं । तथा रंग साफ हो जाता है । 4. तुलसी के पत्ते पानी में पीसकर चेहरे पर लगाने सेचेहरे की झाइयां और दाग धब्बे दूर हो जाते हैं । 5. चेहरे के काले दागों को मिटाने के लिए टमाटर के रस में रुई भिगोकर दागों पर मलें, काले दाग साफ हो जायेंगे । 6. दूध की मलाई में हल्दी मिलाकर चेहरे पर मलने से दाग, धब्बे मिटकर सौंदर्य निखर आता है । 7. तुलसी के पत्तों पर नींबू निचोडकर बारीक पीसकर चेहरे पर प्रतिदिन लेप करने से चेहरे के दाग, धब्बे, विशेषकर काले दाग साफ हो जायेंगे । नोटः- कच्चे मुहासों को कभी नहीं नोचना चाहिए वरना वे चेहरे पर स्थाई दाग छोड़ जायेंगे । दोस्तो यह आर्टिकल शेयर जरूर करें ताकि इस आर्टिकल में लिखी हुई विधियों को आजमाकर

सब्जियों व फलों से उपचार

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                                 सब्जियों व फलों से उपचार  दोस्तो आज के जमाने में अधिकांश लोग सब्जियों और फलों को खाने में इस्तेमाल करने के लिए ही जानते हैं । लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है, इनके और भी कार्य हैं तो आइये जानते हैं इनके बारे में । प्याज के गुण 1. गर्म राख में प्याज को भूनकर उसका पानी निचोडकर कान में डालने से कान के दर्द में फौरन आराम होता है । 2. प्याज का रस 1 तोला, असली शहद 1 तोला, भीमसेनी कपूर 3 माशे, सबको खूब मिलाकर आँखों में लगाने से मोतियाबिंद का असर नहीं होता है । 3. ऐसे व्यक्ति जिन्हें तम्बाकू खाने की आदत नहीं है, गलती से खा लेते हैं तो उनका जी मिचलाने लगता है । उन्हें दो चम्मच प्याज का रस पिलाने से तम्बाकू का असर शीघ्र दूर होता है । 4. यदि शरीर का कोई हिस्सा बारूद से जल जाए तो उस स्थान पर प्याज का रस लगाने से लाभ होता है । 5. बीस तोला प्याज का रस और बीस तोला असली शहद को मिलाकर शर्बत तैयार कर लें । ढ़ाई तोला रोज सेवन करने से नामर्दी और काम शक्ति की कमी में बडा लाभ होता है । साथ ही शरीर सबल और हृष्ट-पुष्ट बनता है । 6. प्याज के रस से सफेद

गर्भ निरोधक (बर्थ कन्ट्रोल)

बर्थ कन्ट्रोल (गर्भ निरोधक) उपाय इस जमाने में दो या तीन बच्चे हों काफी है ताकि उनकी सेहत, पढ़ाई लिखाई, खुराक, पालन पोषण अच्छी तरह हो सके ।बर्थ कन्ट्रोल (गर्भ निरोधक) के बारे में लिखा जा रहा है । जरूर फायदा उठायें और अपना जीवन सुखी बनायें । 1. हल्दी 3 ग्राम माहवारी होने के पाँचवे दिन, सुबह ताजा पानी के साथ सिर्फ तीन दिन हर महीने खिलाते रहेंगे तो गर्भ रहने का डर नहीं रहेगा । आठ दिन तक बिस्तर का परहेज जरूरी है । 2. एक तोला सफेद वैसलीन में दो माशे फिटकरी मैदा की तरह बारीक करके मिला लें । वक्त जरूरत पर गुप्त अंग पर लगा लिया करें । नुस्खा 80 फीसदी कामयाब है । 3. अरण्ड का बीज छीलकर गाय के दूध में उबालकर माहवारी होने के पाँचवे दिन एक बीज सुबह निहार मुँह ताजा पानी से पूरा खिला दें तो एक साल तक गर्भ नहीं होगा । बीज लैटरीन में निकल गया तो काम नहीं होगा । 4. जरूरत के वक्त एक रुई की फुरेरी कस्ट्रायल में भिगोकर योनि में अच्छी तरह फेर लें गर्भ रहने का सवाल ही नहीं । 5. कई भाई ऑपरेशन कराने से घबराते हैं लेकिन तजुर्बा है कि ऑपरेशन से कोई खराबी पैदा नहीं होती । अगर आपके तीन बच्चे हैं तो जरूर

खाँसी, जुकाम व आग से जलने का उपचार

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खाँसी, जुकाम का उपचार 1. मुलहठी, कत्था और गोंद बबूल प्रत्येक दस ग्राम लेकर कूट पीसकर कपडे से छान लें । अदरक के रस में दो तीन घण्टे घोटकर चने के बराबर गोलियाँ बना लें और एक एक गोली चूसते रहें । खाँसी के लिए अत्यन्त लाभदायक है । 2. दस-पन्द्रह तुलसी के पत्ते और आठ दस काल मिर्च की चाय बनाकर पीने से खाँसी जुकाम व बुखार ठीक हो जाता है। 3. आंवले के छिलके को सुखाकर चूर्ण बनाकर और बराबर मिश्री मिला लें । 6 ग्राम सुबह ताजा पानी से खायें । पुरानी से पुरानी खाँसी ठीक हो जायेगी । 4. मुलहठी, काली मिर्च 10-10 ग्राम भूनकर पीस लें, और 30 ग्राम पुराने गुड में मिला लें । मटर के दाने के बराबर गोलियाँ बना लें और ताजे पानी के साथ सेवन करें । खाँसी जड से ठीक हो जायेगी । 5. अदरक का रस व शहद 10-10 ग्राम  बराबर मिलाकर गर्म करके चटने से खाँसी ठीक हो जायेगी । 6. छः ग्राम अदरक के बारीक टुकडे करें व दो ग्राम काली मिर्चों को कूट लें फिर बीस ग्राम पुराना गुड मिलाकर सबको 250 ग्राम पानी में औटाएँ । चौथाई पानी रहने पर उतारकर छान लें और पी लें । दो-तीन दिन सेवन करने से जुकाम दूर हो जायेगी । आग से जलने का

दाद, खुजली, एग्जिमा एवं बालतोड

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एग्जिमा, दाद, खुजली एवं बालतोड का उपचार 1. किसी लोहे की कढाही में एक पाव सरसों का तेल डालकर आग पर चढा लें । जब तेल खूब गर्म होकर उबलने लगे तो इसमें 50 ग्राम नीम की कोपलें डाल दें । कोपलों के काले पडते ही कढाही को तुरन्त नीचे उतार लें । ठंडा होने पर तेल छानकर बोतल में भर लें । इसे दिन में 3 - 4 बार एग्जिमा पर लगाने से कुछ ही दिनों में एग्जिमा नष्ट हो जायेगा । 2. 10 काली मिर्च का चूर्ण गाय का घी 10 ग्राम के साथ लेने से सभी प्रकार की खुजली, दाद व अन्य चर्म रोग ठीक हो जाते हैं । आठ दिन लें । 3. नीम की 21 कोपलें साफ कर लें । इन्हें 60 ग्राम पानी में घोटकर प्रातः एवं सायं सात दिन तक सेवन करने से खुजली ठीक हो जाती है । 4. 20 ग्राम नारियल के तेल में 5 ग्राम देशी कपूर मिलाकर घोलें । कपूर के तेल में घुल जाने के बाद इस तेल को लगाने से खुजली ठीक हो जाती है । इसी तेल को रात में सोते समय दाद पर लगायें कुछ ही दिनों में दाद ठीक हो जायेगा । 5. पिसी हुई मेंहदी भिगोकर जैसे हाथों में लगाई जाती है वैसे ही बालतोड के स्थान पर गाढा गाढा लेप दोनों समय करने से बालतोड ठीक हो जाता है । 6. तुलसी क

गुर्दे की पथरी तथा पेशाब रोगों का उपचार

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गुर्दे की पथरी तथा पेशाब से सम्बंधित अन्य रोगों का उपचार गुर्दे की पथरी का उपचार विधि 1. छः ग्राम पपीते की जड को पीसकर 50 ग्राम पानी मिलाकर 21 दिन तक प्रातः और सायं पीने से पथरी गल जाती है । 2. दो माशा नीम के पत्ते का खार खाने से पथरी गलकर निकल जाती है । 3. जामुन खाना भी पथरी रोग में लाभदायक है । 4. एक ग्राम हल्दी और दो ग्राम गुड, गाजर की कांजी के साथ खाने से पथरी गल जाती है ।               पेशाब से सम्बंधित अन्य रोग पेशाब का बार-बार आना  1. काले तिल 200 ग्राम कूटकर 250 ग्राम गुड  की चासनी में बीस बीस ग्राम के लड्डू बनाकर सुबह शाम एक एक खाएँ । बच्चों को सिर्फ एक दें । यह पेशाब के बार-बार आने की बढ़िया दवा है । 2. बार-बार पेशाब आने पर 60 ग्राम भुने चने खाकर ऊपर से थोड़ा सा गुड खाएँ । दस दिन लगातार सेवन करने से बहुमूत्रता ठीक हो जियेगी । बूढ़ों को ज्यादा दिन तक यह खुराक लेनी चाहिए । पाचन शक्ति यदि बिगडी हुई हो तो यह प्रयोग करें । 3. सवेरे संध्या गुड से बना हुआ तिल का एक लड्डू खाने से बार-बार पेशाब आना बन्द होता है । आवश्यकतानुसार चार पाँच दिन खाएँ । सर्द

बवासीर का उपचार

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बवासीर का उपचार एवं लक्षण लक्षण दो प्रकार की होती है - अन्दर की और बाहर की अन्दर की बवासीर में मस्से अन्दर को होते हैं । गोल-चपटे उभरे हुए मस्से चने मसूर के दाने के बराबर भी होते हैं । कब्ज की वजह से जब अन्दर का मस्सा शौच करते समय जोर लगाने पर बाहर आ जाता है, मरीज दर्द से तडप उठता है और मस्से छिल जाएँ तो जख्म हो जाता है । बाहर की बवासीर में मस्सा गुदा वाली जगह पर होता है । इसमें इतना दर्द नहीं होता । कभी-कभी मीठी खारिश या खुजली होती है । कब्ज होने पर इससे इतना खून आने लगता है कि मरीज खून देखकर घबरा जाता है और चेहरा पीला पड जाता है । बवासीर की निशानी :-  बवासीर से मरीज का हाजमा खराब हो जाता हैै । भूख नहीं लगती, कब्ज रहने लगती है । पेेेेट में कभी-कभी गैैैस बनने लगती है । मेदा, दिल, जिगर कमजोर हो जाते हैं । आमतौर से शारीरिक कमजोरी हो जाती है । मरीज के मुँह पर हल्की सूजन भी आ जाती है । बवासीर का इलाज:-  50 ग्राम रीठे लेकर तवे पर रखकर कटोरी से ढक दें और तवे के नीचे आधा घंटा आग जलाएँ रीठे भस्म हो जाएंगे । ठंंडा होने पर कटोरी हटाकर बारीक करके रीठे की भस्म 20 ग्राम, सफेद कत्था 20

बाँझपन, स्त्री प्रसूति तथा प्रदर, मासिक धर्म

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बाँझपन, स्त्री प्रसूति तथा प्रदर, मासिक धर्म  उपचार विधि  बांझपन दूर करना:-  एक पाव पीपल की दाढ़ी को महीन पीसकर कपडे से छानकर रख लें और समान मात्रा में कच्ची शक्कर खांड मिश्रित करके स्नान के दिन से 2 तोला स्त्री को और 2 तोला मर्द को गाय के दूध के साथ निरन्तर 10 दिनों तक सेवन करायें । ग्यारहवे दिन स्त्री सहवास करायें । इस औषधि से गर्भ अवश्य ठहरेगा । पथ्य-औषधि सेवन के उपरोक्त दस दिन तक स्त्री प्रसंग कदापि न किया जाए । मर्द में कमी हो तो इलाज करवायें । स्त्री प्रसूति तथा प्रदर:-  पीपल के पके हुए फल को बारीक पीसकर समान मात्रा में कच्ची शक्कर मिश्रित करके गाय के दूध के साथ स्त्री को पिला दें । इसी प्रकार सेवन से लगभग दस पन्द्रह दिनों में प्रसूत और प्रदर रोग समाप्त हो जायेगा । मासिक धर्म की अधिकता:- 1. बीस ग्राम धनिये को 200 ग्राम पानी में औटायें । जब पानी 50 ग्राम शेष रह जाए तब छानकर पिला दें । इससे अधिक रक्त गिरना बन्द हो जाएगा । 2. दस ग्राम सफेदा काशगरी व एक ग्राम लाल गेरू दोनों को अच्छी तरह मिलाकर शीशी में भर लें । आवश्यकता पडने पर स्त्री को औषधि बताशे में भरकर खिल

श्वेत प्रदर

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          श्वेत प्रदर (सफेद पानी) क्या है  स्त्रियों की योनी से सफेद पानी का बहना एक साधारण समस्या है।इसमें योनी से पानी जैसा स्त्राव होता है । यह रोग बडी समस्या नहीं है । लेकिन कभी-कभी यह स्त्रियों के लिए बड़ी परेशानी का बन जाती है । इसके कारण चिड़चिड़ापन, पैर-हाथ में दर्द इत्यादि का सामना करना पड़ता है । तो आइए हम जानते हैं, कि घरेलू उपायों द्वारा कैसे श्वेत प्रदर को खत्म किया जा सकता है । आपको क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए और क्या-क्या नहीं करना करना चाहिए यह हम आपको नीचे बता रहे हैं । श्वेत प्रदर ( सफेद पानी ) की समस्या दूर करने के घरेलू उपाय: सुबह-शाम 2 चम्मच प्याज का रस और उतनी हीं मात्रा में शहद मिलाकर पिएँ । नागरमोथा, लाल चंदन, आक के फूल, अडूसा चिरायता, दारूहल्दी, रसौता, इन सबको 25-25 ग्राम लेकर पीस लें । पौन लीटर पानी में उबालें, जब यह आधा रह जाय तो छानकर उसमें 100 ग्राम शहद मिलाकर दिन में दो बार 50-50 ग्राम सेवन करें । जीरा भूनकर चीनी के साथ खाने से फायदा होगा । आंवले का रस और शहद लगातार 1 महीने तक सेवन करें ।इससे श्वेत प्रदर ठीक हो जायेगा । हर

घुटनों का दर्द, गठिया व चोट, मोच, सूजन का उपचार

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घुटनों में दर्द क्यों होता है  घुटने का दर्द किसी बीमारी की वजह से भी हो सकता है या इसके  अलावा दूसरी वजहों से भी हो सकता है. भारी भरकम कार्य करने से भी, या घुटनों का कम इस्तेमाल किए जाने पर, चोट, मोच या खिंचाव जैसी चोटें होने पर, तंग जगह में बैठने या लंबे समय तक घुटनों के बल पर बैठने से भी घुटनों में दर्द हो सकता है. घुटनों के दर्द की उपचार विधि 1. प्रातःकाल मेथी दाना के बारीक चूर्ण की एक चम्मच की मात्रा से पानी के साथ फंकी लगाने से घुटनों का दर्द खत्म हो जाता है । बुढापे के कारण होने वाले घुटनों के दर्द मे यह विशेष उपयोगी है । दर्द के अलावा यह स्नायु रोग, बहुमूत्र, सूखा रोग व खून आदि की कमी में बहुत उपयोगी है । 2. प्रातः भूखे पेट तीन-चार अखरोट की गिरी खाने से भी घुटनों का दर्द जाता रहता है । 3. नारियल की गिरी खाते रहने से घुटनों का दर्द खत्म हो जाता है । 4. अरण्ड के पत्ते और मेहंदी पीसकर लेप करने से घुटनों का दर्द दूर हो जाता है । 5. सूखे आंवलों को कूट पीसकर दो गुनी मात्रा में गुड मिलाकर बडे मटर के आकार की गोलियां बनाकर रोजाना तीन गोलियां पानी के साथ लेने से