पौरुष ग्रन्थि का बढ़ जाना (ENLARGEMENT OF PROSTATE GLAND), लिंग की चमड़ी उलट जाना, लिंग मुण्ड का न खुलना, (PHIMOSIS), जन्मजात निरुद्धता (CONGENITAL PHIMOSIS)

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  पौरुष ग्रन्थि का बढ़ जाना (ENLARGEMENT OF PROSTATE GLAND) रोग परिचय कारण एवं लक्षण:- इसमें पौरुषग्रन्थि बगैर सूजन के बढ़ जाती है। यह रोग बिना कीटाणुओं के आक्रमण से हो जाता है। यही कारण है कि इसमें दर्द और ज्वर आदि नहीं होता है। प्राय: यह रोग 50 वर्ष की आयु के बाद ही होता है। प्रारम्भ में मूत्र में कुछ कठिनाई और रुकावट सी आती है, बाद में मूत्र बिना कष्ट के, सामान्य रूप से आने लगता है। रोग बढ़ जाने पर मूत्र बार-बार आता है, मूत्राशय मूत्र सें पूरा खाली नहीं होता, कुछ न कुछ मूत्र मूत्राशय में रुका ही रह जाता है। मूत्र करते समय रोगी को ऐसा महसूस होता है कि जैसे कोई चीज मूत्र को बाहर निकलने से रोक रही है। इस रोग के मुख्य कारण अत्यधिक मैथुन तथा अत्यधिक सुरापान है। यह रोग प्रायः तर मौसम (तर जलवायु) में रहने वालों को अधिक हुआ करता है। चिकित्सा:- इस रोग में खट्टे, ठन्डे और तर भोजनों और तरकारियों तथा देर से पचने वाले भोजनों यथा-दही, मट्टा, गोभी, बैंगन, अरबी (घुइयाँ) आदि का पूर्णतयः निषेध है। रोगी को मैथुन न करने की हिदायत दें। 'सोये के तैल' की मालिश करें। यदि औषधियों से रोगी ठीक न हो

घुटनों का दर्द, गठिया व चोट, मोच, सूजन का उपचार

घुटनों में दर्द क्यों होता है 

घुटने का दर्द किसी बीमारी की वजह से भी हो सकता है या इसके  अलावा दूसरी वजहों से भी हो सकता है. भारी भरकम कार्य करने से भी, या घुटनों का कम इस्तेमाल किए जाने पर, चोट, मोच या खिंचाव जैसी चोटें होने पर, तंग जगह में बैठने या लंबे समय तक घुटनों के बल पर बैठने से भी घुटनों में दर्द हो सकता है.


घुटनों के दर्द की उपचार विधि

1. प्रातःकाल मेथी दाना के बारीक चूर्ण की एक चम्मच की मात्रा से पानी के साथ फंकी लगाने से घुटनों का दर्द खत्म हो जाता है । बुढापे के कारण होने वाले घुटनों के दर्द मे यह विशेष उपयोगी है । दर्द के अलावा यह स्नायु रोग, बहुमूत्र, सूखा रोग व खून आदि की कमी में बहुत उपयोगी है ।
2. प्रातः भूखे पेट तीन-चार अखरोट की गिरी खाने से भी घुटनों का दर्द जाता रहता है ।
3. नारियल की गिरी खाते रहने से घुटनों का दर्द खत्म हो जाता है ।
4. अरण्ड के पत्ते और मेहंदी पीसकर लेप करने से घुटनों का दर्द दूर हो जाता है ।
5. सूखे आंवलों को कूट पीसकर दो गुनी मात्रा में गुड मिलाकर बडे मटर के आकार की गोलियां बनाकर रोजाना तीन गोलियां पानी के साथ लेने से घुटनों का दर्द ठीक हो जाता है ।

गठिया-
गठिया किसे कहते हैं,
यूरिक एसिड जब हड्डियों के जोडो़ में जमा हो जाता है तो वह गठिया का रूप धारण कर लेता है । यूरिक एसिड कई तरह के आहारों को इस्तेमाल करने से बनता है । रोगी के एक या एक से अधिक जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और सुइयां चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को गठिया कहते हैं । यह कई तरह का होती है, जैसे - गाउट, आस्टियो, रूमेटाइट एक्यूट आदि।

गठिया का उपचार


1. असगन्ध बूटी की जड और खांड बराबर लें तथा कूट पीसकर चूर्ण कर लें । प्रतिदिन दोनों समय पाँच ग्राम से दस ग्राम तक गर्म दूध के साथ सेवन करें । यह गठिया का अचूक इलाज है ।

2. अजवायन, गूगल, पाल कंगनी, काला दाना, चारों औषधियां बराबर मात्रा में लेकर कूट पीस लें तथा पानी मिलाकर चने के बराबर गोली बना लें । चार गोलियाँ दूध से लें । कुछ दिन में गठिया रोग से छुटकारा मिल जायेगा ।

चोट, मोच  और सूजन  का उपचार

उपचार विधि
1. किसी भी चोट के स्थान पर घी और कपूर बराबर मात्रा में मिलाकर बांधने से चोट की पीडा मिट जाती है तथा खून का बहना भी बन्द हो जायेगा,
2. जिस स्थान से खून बह रहा हो, वहाँ पर मिट्टी के तेल का फाहा रखने से खून का बहना तुरन्त बन्द हो जाता है ।

3. कटे हुए स्थान पर पिसी हुई हल्दी भर देने से खून का बहना तुरन्त बन्द हो जाता है ।

4. तेजपात को पीसकर लगाने से मोच ठीक हो जाती है ।
5. अनार के पत्ते पीसकर बाँधने से मोच की पीडा समाप्त हो जाती है ।

6. तिल और महुआ पीसकर बाँधने से हड्डी की मोच ठीक हो जाती है ।

7. ढाक की गोंद को पानी में घोलकर लेप करने से चोट की सूजन ठीक हो जाती है ।

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धन्यवाद!
                                                       
                                             

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