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Showing posts from February, 2023

पौरुष ग्रन्थि का बढ़ जाना (ENLARGEMENT OF PROSTATE GLAND), लिंग की चमड़ी उलट जाना, लिंग मुण्ड का न खुलना, (PHIMOSIS), जन्मजात निरुद्धता (CONGENITAL PHIMOSIS)

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  पौरुष ग्रन्थि का बढ़ जाना (ENLARGEMENT OF PROSTATE GLAND) रोग परिचय कारण एवं लक्षण:- इसमें पौरुषग्रन्थि बगैर सूजन के बढ़ जाती है। यह रोग बिना कीटाणुओं के आक्रमण से हो जाता है। यही कारण है कि इसमें दर्द और ज्वर आदि नहीं होता है। प्राय: यह रोग 50 वर्ष की आयु के बाद ही होता है। प्रारम्भ में मूत्र में कुछ कठिनाई और रुकावट सी आती है, बाद में मूत्र बिना कष्ट के, सामान्य रूप से आने लगता है। रोग बढ़ जाने पर मूत्र बार-बार आता है, मूत्राशय मूत्र सें पूरा खाली नहीं होता, कुछ न कुछ मूत्र मूत्राशय में रुका ही रह जाता है। मूत्र करते समय रोगी को ऐसा महसूस होता है कि जैसे कोई चीज मूत्र को बाहर निकलने से रोक रही है। इस रोग के मुख्य कारण अत्यधिक मैथुन तथा अत्यधिक सुरापान है। यह रोग प्रायः तर मौसम (तर जलवायु) में रहने वालों को अधिक हुआ करता है। चिकित्सा:- इस रोग में खट्टे, ठन्डे और तर भोजनों और तरकारियों तथा देर से पचने वाले भोजनों यथा-दही, मट्टा, गोभी, बैंगन, अरबी (घुइयाँ) आदि का पूर्णतयः निषेध है। रोगी को मैथुन न करने की हिदायत दें। 'सोये के तैल' की मालिश करें। यदि औषधियों से रोगी ठीक न हो

स्त्रियों की योनि से संबंधित अनेक रोग तथा उनका घरेलू विधि से उपचार (Many diseases related to women's vagina and their treatment with home remedies)

 स्त्रियों की योनि से संबंधित अनेक रोग तथा उनका घरेलू विधि से उपचार (Many diseases related to women's vagina and their treatment with home remedies) योनि - कपाट शोथ (VULVITIS), योनि - कपाट की खुजली (VULVA PRURITIS), योनि कपाट की फुन्सियाँ (VULVAR PIMPLES), योनिद्वार की रसूली (PUDENDAL CONDYLOMA), योनि - शोथ (VAGINITIS), योनि की खुजली (VULVA PRURITIS), योनि के घाव (ULCERS OF VAGINA), योनि का नासूर (VAGINAL FISTULA),  योनि - कपाट शोथ (VULVITIS) रोग परिचय, कारण एवं लक्षण:- इस रोग में स्त्रियों की योनि के (योनिद्वार) और उस के दोनों ओर के ओष्ठों में सूजन हो जाती है। इसके मुख्य कारण- मैला कुचैला रहना, पाचन क्रिया की गड़बड़ी, बाहरी खुजली, मधुमेह रोग, श्वेत प्रदर, खून पतला हो जाना, सुजाक प्रथम बार संभोग क्रिया एवं प्रसूति पीड़ा के कष्ट आदि होते हैं। इसके लक्षणों में योनि कपाट और दोनों ओर के ओष्ठों में सूजन होकर दर्द होता है। शोथ के अधिक तीव्र होने पर स्त्री को ज्वर भी हो सकता है, यदि यह कष्ट सुजाक के कारण हो तो ओष्ठों के अन्दर 'बारथोलिन' ग्रन्थियाँ भी सूज जाती हैं, आस-पास का चर्

स्तनों का छोटा व ढीला हो जाना (Small and loose breasts.), स्तन का घाव (Breast sore), स्तनों में दुग्ध की अधिकता (Excess of milk in the breasts.), स्तनों में दुग्ध का घट जाना (loss of milk in breasts), स्तनों में दुग्ध रुक जाना (Engorgement of milk in the breasts)

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 स्त्री गुप्त रोगों की चिकित्सा स्तनों का छोटा व ढीला हो जाना (Small and loose breasts.), स्तन का घाव (Breast sore), स्तनों में दुग्ध की अधिकता (Excess of milk in the breasts.), स्तनों में दुग्ध का घट जाना (loss of milk in breasts), स्तनों में दुग्ध रुक जाना (Engorgement of milk in the breasts) 1. स्तनों का छोटा हो जाना (Reduction of breasts) रोग परिचय, कारण एवं लक्षण:- इस रोग में स्त्री के स्तन साधारण अवस्था से भी छोटे हो जाया करते हैं, उनका उभार ही नहीं रहता है। दूध उत्पादन की क्षमता में भी कमी हो जाया करती है। इस रोग के कारण स्त्री-सौन्दर्य भी फीका पड़ जाया करता है। इसका मुख्य कारण शारीरिक कमजोरी, रक्त विकार, दुबलापन, स्तनों के पालन, पोषण हेतु उचित मात्रा में रक्त का न पहुँचना, स्तनों से रक्त में जाने वाली नसों में सुद्दे पड़ जाना, हारमोन सम्बन्धी विकार तथा स्त्री गुप्तांग जन्मजात खराबी होना इत्यादि हैं। उपचार:- जैतून का विशुद्ध तैल स्तनों पर हल्के हाथों से धीरे-धीरे मालिश करें। इस क्रिया से स्तन की मांसपेशियां पुष्ट हो जाती हैं, स्तन क्षेत्र का रक्त संचार बढ़कर स्नायु को बल मिलता

योनि का तंग या बिल्कुल बन्द हो जाना (Tight or complete closure of the vagina.)

 योनि का तंग या बिल्कुल बन्द हो जाना (Tight or complete closure of the vagina.) रोग परिचय, कारण एवं लक्षण:- स्त्रियों का यह रोग कई प्रकार का होता है। यदि योनि बिल्कुल बन्द हो या इतनी अधिक संकुचित हो जाये कि सम्भोग क्रिया ही सम्पन्न न हो सके तो इसको अंग्रेजी में 'एटोसिया ऑफ वैजाइना' कहा जाता है। यदि मैथुन क्रिया में कष्ट हो तो इसे 'वैजाइनिसमस' कहा जाता है। इसके दो कारण होते हैं।  (1) जन्म से ही योनि का बन्द होना या न होना:- योनि मात्र पतली सी एक नाली होती है जिस से मासिक आया करता है तथा सम्भोग क्रिया सम्पन्न होती है और बच्चों की पैदाइश (जन्म) होता है। गर्भाशय के मुख के निकट या योनि के मध्य में कोई आप्राकृतिक मांस या मस्सा उत्पन्न होने से योनि में रुकावट पैदा हो जाती है। प्रायः ऐसा होता है कि कुमारी पर्दा (Hymen) हाइमन बहुत अधिक मोटा और बिना छेद के होता है। जिसके कारण योनि का मुख बन्द रहता है। ऐसी परिस्थिति में मासिक धर्म के समय गर्भाशय में उदरशूल जैसा दर्द उठा करता है, जो पेट पर हाथ दबाने से बढ़ जाया करता है। जब गर्भाशय में अधिक मात्रा में रक्त एकत्र हो जाया करता है तो

गर्भ निरोध के कुछ घरेलू उपाय। (Some home remedies for birth control.) स्त्री पुरुष के यौन रोग एवं उनके समाधान। (Sexual diseases of men and women and their solutions.)

  गर्भ निरोध के कुछ घरेलू उपाय। (Some home remedies for birth control.) स्त्री पुरुष के यौन रोग एवं उनके समाधान। ( Sexual diseases of men and women and their solutions.) • मासिक धर्म के दिनों में पुराना गुड़ औटाकर 15 दिनों तक लगातार पीने से गर्भ नहीं ठहरता है। • सम्भोग से पूर्व तथा पश्चात् (बाद में) गरम जल में मिली फिटकरी से योनि को धो देने से गर्भ स्थापित नहीं हो पाता है। इसी प्रकार का प्रयोग नीम के पत्तों के बने काढ़े का भी है।  • निबौली के तेल का फाया मासिक काल के दौरान लगातार 5 दिन योनि में रखने से गर्भ नहीं ठहरता है। • यदि किसी भी प्रकार के घी से स्पंज या रुई को तर करके योनि में रखकर सम्भोग किया जाये तो गर्भ नहीं ठहरता है। • चंपा का 1 पत्ता रात्रि को पानी में डालकर भिगो दें। दूसरे दिन प्रातः उसी पानी में उसी पत्ते को घोटकर मासिकधर्म के समय पिला देने से 1 साल तक तथा दो पत्ते घोटकर पिला देने से 2 साल तक गर्भ नहीं ठहरता है। • यदि 1 निबौली को चबाकर गाय के दूध के साथ निगल लिया जाये तो 1 वर्ष के लिए स्त्री बांझ हो जाती है। • मासिक धर्म समाप्त हो जाने के बाद 1 सफेद रत्ती गुड़ में लपेट कर