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Showing posts from February, 2019

पौरुष ग्रन्थि का बढ़ जाना (ENLARGEMENT OF PROSTATE GLAND), लिंग की चमड़ी उलट जाना, लिंग मुण्ड का न खुलना, (PHIMOSIS), जन्मजात निरुद्धता (CONGENITAL PHIMOSIS)

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  पौरुष ग्रन्थि का बढ़ जाना (ENLARGEMENT OF PROSTATE GLAND) रोग परिचय कारण एवं लक्षण:- इसमें पौरुषग्रन्थि बगैर सूजन के बढ़ जाती है। यह रोग बिना कीटाणुओं के आक्रमण से हो जाता है। यही कारण है कि इसमें दर्द और ज्वर आदि नहीं होता है। प्राय: यह रोग 50 वर्ष की आयु के बाद ही होता है। प्रारम्भ में मूत्र में कुछ कठिनाई और रुकावट सी आती है, बाद में मूत्र बिना कष्ट के, सामान्य रूप से आने लगता है। रोग बढ़ जाने पर मूत्र बार-बार आता है, मूत्राशय मूत्र सें पूरा खाली नहीं होता, कुछ न कुछ मूत्र मूत्राशय में रुका ही रह जाता है। मूत्र करते समय रोगी को ऐसा महसूस होता है कि जैसे कोई चीज मूत्र को बाहर निकलने से रोक रही है। इस रोग के मुख्य कारण अत्यधिक मैथुन तथा अत्यधिक सुरापान है। यह रोग प्रायः तर मौसम (तर जलवायु) में रहने वालों को अधिक हुआ करता है। चिकित्सा:- इस रोग में खट्टे, ठन्डे और तर भोजनों और तरकारियों तथा देर से पचने वाले भोजनों यथा-दही, मट्टा, गोभी, बैंगन, अरबी (घुइयाँ) आदि का पूर्णतयः निषेध है। रोगी को मैथुन न करने की हिदायत दें। 'सोये के तैल' की मालिश करें। यदि औषधियों से रोगी ठीक न हो

उपवास एक कम्पलीट ट्रीटमेंट (Fasting A Comprehensive Treatment)

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उपवास एक कम्पलीट ट्रीटमेंट (Fasting A Comprehensive Treatment) उपवास तन-मन को पूरी तरह निरोग व ऊर्जावान रखने का सबसे अचूक उपाय है। विधिपूर्वक उपवास करने से कायाकल्प हो जाता है और उन बीमारियों से भी मुक्ति मिल जाती है, जिन्हें दुसाध्य कहा गया है  शरीर में विजातीय द्रव्य जमा होने से रोग उत्पन्न होते हैं और इन विजातीय द्रव्यों को निकालना ही प्राकृतिक चिकित्सा है। उपवास प्राकृतिक चिकित्सा की सर्वश्रेष्ठ, सरल तथा नि:शुल्क उपचार पद्धति है। यह शरीर की आंतरिक सफाई का सबसे बेहतर साधन है। उपवास रोगों के उपचार की वैज्ञानिक विधि है, जिसमें रोगी आवश्यकतानुसार कम या अधिक समय के लिए पानी को छोड़कर किसी प्रकार का ठोस आहार नहीं लेता है। उपवास द्वारा प्रकृति सबसे पहले शरीर से उन्हीं पदार्थों को बाहर निकालती है, जो रोग उत्पन्न करते हैं। उपवास से शरीर के सभी अंग-अवयवों को आराम मिलता है और आगे वे अधिक सक्षम होकर अपना कार्य करते हैं। उपवास शरीर रूपी मशीन के पाचन तंत्र को आराम देने के साथ-साथ उसकी ओवरहीलिंग भी करता है। उपवास द्वारा मन तथा शरीर का शोधन हो जाता है, सभी विषैले व विजातीय तत्व बाहर निक

मजबूत बनाएं अपना इम्यून सिस्टम (Make Your Immune System Strong)

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मजबूत बनाएं अपना इम्यून सिस्टम (Make Your Immune System Strong)  हमेशा कमजोरी व थकान महसूस होना, बार-बार बीमार पड़ना, तनाव-चिड़चिड़ापन, सर्दी-जुकाम जैसी मौसमी बीमारियों का जल्दी निशाना बन जाना, जल्दी ही किसी भी प्रकार के इंफेक्शन की चपेट में आ जाना आदि कुछ ऐसे सिम्पटम हैं, जो इम्यून सिस्टम की कमजोरी की ओर इशारा करते हैं। ऐसी दशा में अपनी इम्यूनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) में सुधार लाना बेहद जरूरी है। इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर चुस्ती-फुर्ती बढ़ाने और निरोग रहने के लिए कुछ कारगर उपाय इस प्रकार हैं- 1. हेल्दी डेली रुटीन सेट करें  सुबह में समय पर जागना, रात में समय पर बिस्तर पर जाना, समय पर ब्रेकफास्ट, लंच व डिनर लेना, काम के बीच में भी हल्का ब्रेक लेते रहना, फिजिकली एक्टिव रहना-इन सबका हमारी सेहत से बड़ा गहरा रिश्ता है। अतः सबसे पहले अपने लिए एक हेल्दी डेली रुटीन सेट करके उसका सख्ती से पालन करें। 2. योग-व्यायाम करें  आज के मशीनीकरण के जमाने में ज्यादातर लोग एक ही जगह बैठकर अपनी ड्यूटी करते हैं और उनकी फिजिकल मूवमेंट न के बराबर होती है, जबकि फिट रहने के लिए फिजिकल मूवमेंट बहुत

बिना दवा के पाएं डिप्रेशन से निजात

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बिना दवा के पाएं डिप्रेशन से निजात  डिप्रेशन   जैसे जटिल रोग से खुद को बचाए रखने या फिर शुरुआती अवस्था में ही इसेे कंट्रोल करने में हेल्दी लाइफ स्टाइल, हेल्दी खान-पान व योग की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि हम अपने खान-पान व रहन-सहन को लेकर सजग रहते हुए नियमित रूप से योग की कुछ चुनिंदा क्रियाओं का अभ्यास करते रहें, तो इससे शरीर के साथ-साथ मन भी पूरी तरह स्वस्थ रहता है और उमंग-उल्लास बना रहता है। मौजूदा दौर में डिप्रेशन का प्रकोप बहुत ज्यादा देखने को मिल रहा है। आज 10 में से 7 लोग डिप्रेशन या अवसाद के शिकार होते हैं। कंपटीशन, देखा-देखी, दिखावेबाजी के चलते नैतिक मूल्यों को खोकर भी आगे बढ़ने की होड़ तनावपूर्ण माहौल बना देती है। काम-काज के स्ट्रेस व दबाव (वर्कलोड) के चलते खान-पान, नींद व रहन-सहन (लाइफ स्टाइल) सब प्रभावित होते हैं। डिप्रेशन एक ऐसी समस्या है, जिसका कुछ लोगों को पता ही नहीं लग पाता कि वे इससे ग्रस्त हैं। यह एक मनोदैहिक विकार है। उदासी, थकान, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी, दुख, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, हताशा, आनंद देने वाली गतिविधियों में भाग न लेना, बहुत ज्यादा या