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Showing posts from February, 2020

पौरुष ग्रन्थि का बढ़ जाना (ENLARGEMENT OF PROSTATE GLAND), लिंग की चमड़ी उलट जाना, लिंग मुण्ड का न खुलना, (PHIMOSIS), जन्मजात निरुद्धता (CONGENITAL PHIMOSIS)

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  पौरुष ग्रन्थि का बढ़ जाना (ENLARGEMENT OF PROSTATE GLAND) रोग परिचय कारण एवं लक्षण:- इसमें पौरुषग्रन्थि बगैर सूजन के बढ़ जाती है। यह रोग बिना कीटाणुओं के आक्रमण से हो जाता है। यही कारण है कि इसमें दर्द और ज्वर आदि नहीं होता है। प्राय: यह रोग 50 वर्ष की आयु के बाद ही होता है। प्रारम्भ में मूत्र में कुछ कठिनाई और रुकावट सी आती है, बाद में मूत्र बिना कष्ट के, सामान्य रूप से आने लगता है। रोग बढ़ जाने पर मूत्र बार-बार आता है, मूत्राशय मूत्र सें पूरा खाली नहीं होता, कुछ न कुछ मूत्र मूत्राशय में रुका ही रह जाता है। मूत्र करते समय रोगी को ऐसा महसूस होता है कि जैसे कोई चीज मूत्र को बाहर निकलने से रोक रही है। इस रोग के मुख्य कारण अत्यधिक मैथुन तथा अत्यधिक सुरापान है। यह रोग प्रायः तर मौसम (तर जलवायु) में रहने वालों को अधिक हुआ करता है। चिकित्सा:- इस रोग में खट्टे, ठन्डे और तर भोजनों और तरकारियों तथा देर से पचने वाले भोजनों यथा-दही, मट्टा, गोभी, बैंगन, अरबी (घुइयाँ) आदि का पूर्णतयः निषेध है। रोगी को मैथुन न करने की हिदायत दें। 'सोये के तैल' की मालिश करें। यदि औषधियों से रोगी ठीक न हो

बालों से संबंधित समस्याओं के लिए उपयोगी घरेलू प्रयोग। Useful home use for hair related problems.

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बालों की समस्त समस्याओं का घरेलू उपचार। दोस्तो आज के समय में लगभग हर स्त्री, पुरुष बालों की किसी न किसी समस्या से परेशान है। किसी के बाल दोमुहे हैं, किसी के बाल झड़ रहे हैं, तो कोई व्यक्ति सिर में रूसी (डैंड्रफ) से परेशान है। आज हम इन सभी समस्याओं का समाधान लेकर एक बार फिर से हाजिर हैं, तो आइये जानते हैं बालों से संबंधित सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए कुछ प्रमुख कारगर घरेलू प्रयोग इस प्रकार हैं- बालों के झड़ने का उपचार (Treatment for hair fall) प्रयोग विधि: यदि बाल दोमुहे हो गये हों और इनकी वृद्धि बाधित हो रही हो, तो बालों की जड़ों में आंवले का चूर्ण और नीबू का रस मिलाकर लगाने से बाल जल्दी बढ़ते हैं। आंवले के चूर्ण को रात में लोहे की कड़ाही में पानी में भिगोकर रख दें। सुबह में इस पानी में नीबू निचोड़कर बालों में लगाकर थोड़ी देर के लिए छोड़ दें, फिर मसाज करते हुए सादे पानी से बाल धोएं। नियमित रूप से यह प्रयोग अपनाने से 1 माह में काले, लंबे, घने और मुलायम हो जाते हैं। 100 मि ली नारियल के तेल में 3 ग्राम कपूर पीसकर मिलाएं और इस तेल को किसी शीशी में भरकर

बच्चेदानी में सूजन का घरेलू उपचार। लक्षण तथा कारण। Home remedies of inflammation in the uterus. Symptoms and causes.

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आधुनिक समय में वातावरण के बदलाव और अनुचित-खान-पान के कारण अधिकांश स्त्रियों की बच्चेदानी में सूजन (Uterine inflammation) आ जाती है। बदलता हुआ वातावरण गर्भाशय (Uterus) को बहुत प्रभावित करता है, जिस कारण स्त्रियों में यह समस्याएं अधिक देखने को मिलती हैं। इसी वजह से स्त्रियों के पेट में असहनीय दर्द, ज्वर, सिर में दर्द तथा कमर के दर्द का सामना करना पड़ता है। जल्द ही इस समस्या का उपचार न होने पर यह समस्या कैंसर जैसी बीमारी का सबव बन सकती है। अतः हमें चाहिए डाॅक्टरी इलाज के अलावा घरेलू उपचार करके भी स्त्रियों की इस समस्या को दूर कर सकते हैं। दोस्तो हम आज आपको  बच्चेदानी में सूजन (Uterine inflammation) से संबंधित कुछ घरेलू प्रयोग बताने जा रहे हैं, जिनकी सहायता से आप इस समस्या को दूर करके बड़ी बीमारियों से दूर रह सकती हैं। आइये जानें इन समस्याओं को जड़ से नष्ट करने के लिए घरेलू उपाय। बच्चेदानी में सूजन के कारण (Causes of inflammation in the uterus) वातावरण में बदलाव के कारण। औषधियों के अत्यधिक सेवन करने से। अत्यधिक तथा बहुत कम व्यायाम करने से। भूख से अधिक

सुबह बिस्तर छोड़ने के बाद रहें ज्यादा सावधान। बिस्तर से उठने का सही तरीका। नुकसानदेह है उंगलियों को चटकाते रहना। उंगलियां चटकाने से नुकसान।

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आइये जानते हैं क्या करना चाहिए बिस्तर छोड़ते समय। सुबह का समय सेहत के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, इसीलिए हर तरह के ट्रीटमेंट में, चाहे वो माॅडर्न हो या फिर पुरानी पारंपरिक, सुबह बिस्तर से जल्दी उठने पर जोर दिया जाता है। लेकिन इस बात की जानकारी सभी को होनी चाहिए सुबह बिस्तर से उठने के बाद हमें क्या करना है और किन-किन गलतियों को नहीं करना है।

गले में इंफेक्शन का इलाज इन हिन्दी। गले के इंफेक्शन में बरतें पूरी सावधानी।

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गले के इंफेक्शन का घरेलू उपचार। बदलते मौसम में तापमान में धीरे-धीरे गिरावट आने लगती है और रात में सर्दी व दिन में गरमी का मिला-जुला प्रभाव कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के रूप में सामने आता है। अतः इस मौसम में सेहत की देखभाल को लेकर खासतौर पर सजग रहने की आवश्यकता होती है। बदलते हुए मौसम में परेशानी का कारण बनने वाली समस्याओं में मुख्य है गले का इंफेक्शन । मौसम में बदलाव के दौरान अधिकांश गले में खराश की शिकायत हो जाती है, जो एक प्रकार का वायरल इंफेक्शन होता है, और इसके साथ ही हल्का सा बुखार, सुस्ती व थकान, मितली, बदन दर्द आदि लक्षण भी देखने को मिलते हैं। ऐसी दशा में निम्नलिखित उपायों को अपनाना फायदेमंद हो सकता है। गरम पानी में नमक डालकर कुल्ला व गरारे करें। भाप लें, यह अंदर जमा हुआ बलगम बाहर निकालने में मदद करती है। गरम तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें। लिक्विड भरपूर मात्रा में लेते रहना चाहिए। धूम्रपान से दूर रहना चाहिए। फ्रीज का ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक आदि नहीं लेना चाहिए। ज्यादा तले-भुने व मसालेदार खाने से परहेज बरतना चाहिए। छींकते-खांसते समय नाक व मुंह पर रुमाल र

नारियल का तेल सेहत के लिए उपयोगी है : नारियल के तेल के फायदे। Benefits of coconut oil.

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जानें, क्यों नारियल का तेल हमारी सेहत के लिए उपयोगी है। Learn why coconut oil is useful for our health. घर-घर में इस्तेमाल किया जाने वाला नारियल का तेल यानी (Coconut oil) सेहत और सौंदर्य को संवारने के लिहाज से खासतौर पर उपयोगी है। खाने से लेकर लगाने तक इसके अनगिनत फायदे हैं। इसलिए सर्दियों के मौसम में इसका इस्तेमाल ज्यादा बेहतर रहता है। नारियल का तेल (Coconut oil) की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं- नारियल का तेल (Coconut oil) में 50 प्रतिशत लैरिक एसिड पाया जाता है, जो हार्ट से जुड़ी कई तरह की समस्याओं को कंट्रोल करने में खासतौर पर कारगर है।  भोजन में नारियल के तेल (Coconut oil) का प्रयोग करने से अच्छा कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ता है और बेकार कोलेस्ट्रॉल लेवल को संतुलित (Balanced) करने में मदद करता है। नारियल तेल (Coconut oil) के प्रयोग से ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है। नारियल तेल (Coconut oil) का लगातार प्रयोग मसल्स के लिए लाभदायी है। नारियल तेल (Coconut oil) के प्रयोग से अल्जाइमर सहित ब्रेन से जुड़ी तरह-तरह की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। नारियल तेल (Coconut o

मानसिक तनाव को दूर करने के लिए उपाय। मानसिक शांति के लिए अपनाएं श्वासन। मानसिक शांति के लिए अपनाएं योग।

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मानसिक शांति के लिए अपनाएं श्वासन दोस्तो मनुष्य जीवन भर सदैव एक जैसा नहीं रहता उसे आये दिन तरह-तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, तथा तमाम जिंदगी उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। यह सिलसिला विशेषकर युवावस्था के बाद घरेलू, सामाजिक, आर्थिक दबाव काफी अधिक हो जाता है। इन्हीं मानसिक दबाव और मानसिक चिंताओं का हमारे मन, मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आज हम इन्हीं समस्याओं का समाधान एक योग के द्वारा बताने की कोशिश कर रहे हैं।  श्वासन करने की विधि इस प्रकार है- पीठ के बल फर्श पर लेट जाएं और सजग रहते हुए 5-6 गहरे श्वास-प्रश्वास की क्रिया करें। सजग रहते हुए आंखों को खूब ढीला व हल्का बंद रखें। हाथों को शरीर के बगल में फर्श पर रखें। हथेलियों को ऊपर की ओर खुला रखें। पैरों को आराम की स्थिति में रखते हुए 1 फुट के अंतर पर कर लें। पूरे शरीर को ढीला व शिथिल छोड़ दें। शरीर को पूरी तरह से स्थिर रखें, कोई भी अंग हिलने-डुलने न पाए। अब अपने मन को सहज श्वास-प्रश्वास के प्रति जागरूक बनाएं। मन-ही-मन श्वास-प्रश्वास की गिनती करें। शुरू में उल्टी गिनती में 30 श्वास-प्रश्वास गिनें। उदाहरण के तौ

जूस थेरेपी द्वारा शरीर में होने वाले लाभ और हानि । Advantages and disadvantages of body through juice therapy.

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Juice Therapy रस चिकित्सा जूस थेरेपी द्वारा शरीर में होने वाले लाभ और हानि । Advantages and disadvantages of body through juice therapy. जूस थेरेपी,  Juice therapy शरीर   के शुद्धिकरण, रोग मुक्ति और शक्ति स्फूर्ति व रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी के लिए जूस थेरेपी,  Juice therapy   बेजोड़ है। विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में यह प्राकृतिक उपचार अपनाने से कायाकल्प हो जाता है। दोस्तो आइये जाने कुछ चुनिंदा फल-सब्जियों द्वारा जूस थेरेपी, Juice therapy  के वारे में और उनसे क्या-क्या लाभ और हानि हो सकती है कैसे इसका सेवन करें : फल-सब्जियों के रस (Juice) या रसाहार द्वारा चिकित्सा प्रायः सभी रोगों में उपयोगी हो सकती है। लेकिन इसका प्रयोग किस रूप में किसको करना चाहिए, इसके पीछे वैज्ञानिक तथ्य जुड़े होते हैं। रसों का प्रयोग कब करें और कब नहीं करना चाहिए यह भी जानना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि विभिन्न रसों के गुण धर्म जानना।        रस या Juice का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायी है यह तो सभी जानते हैं, लेकिन साथ ही यह भी जानना जरूरी है कि Juice नुकसानदेह भी हो सकता है। जैस