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Showing posts from January, 2019

पौरुष ग्रन्थि का बढ़ जाना (ENLARGEMENT OF PROSTATE GLAND), लिंग की चमड़ी उलट जाना, लिंग मुण्ड का न खुलना, (PHIMOSIS), जन्मजात निरुद्धता (CONGENITAL PHIMOSIS)

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  पौरुष ग्रन्थि का बढ़ जाना (ENLARGEMENT OF PROSTATE GLAND) रोग परिचय कारण एवं लक्षण:- इसमें पौरुषग्रन्थि बगैर सूजन के बढ़ जाती है। यह रोग बिना कीटाणुओं के आक्रमण से हो जाता है। यही कारण है कि इसमें दर्द और ज्वर आदि नहीं होता है। प्राय: यह रोग 50 वर्ष की आयु के बाद ही होता है। प्रारम्भ में मूत्र में कुछ कठिनाई और रुकावट सी आती है, बाद में मूत्र बिना कष्ट के, सामान्य रूप से आने लगता है। रोग बढ़ जाने पर मूत्र बार-बार आता है, मूत्राशय मूत्र सें पूरा खाली नहीं होता, कुछ न कुछ मूत्र मूत्राशय में रुका ही रह जाता है। मूत्र करते समय रोगी को ऐसा महसूस होता है कि जैसे कोई चीज मूत्र को बाहर निकलने से रोक रही है। इस रोग के मुख्य कारण अत्यधिक मैथुन तथा अत्यधिक सुरापान है। यह रोग प्रायः तर मौसम (तर जलवायु) में रहने वालों को अधिक हुआ करता है। चिकित्सा:- इस रोग में खट्टे, ठन्डे और तर भोजनों और तरकारियों तथा देर से पचने वाले भोजनों यथा-दही, मट्टा, गोभी, बैंगन, अरबी (घुइयाँ) आदि का पूर्णतयः निषेध है। रोगी को मैथुन न करने की हिदायत दें। 'सोये के तैल' की मालिश करें। यदि औषधियों से रोगी ठीक न हो

क्या है समाधान जब करे परेशान सुस्ती और थकान

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क्या है समाधान जब करे परेशान सुस्ती और थकान हालांकि लोग सुस्ती और थकान को गंभीर समस्या नहीं मानते, फिर भी बिना मेहनत के भी हमेशा सुस्ती और थकान महसूस होना सामान्य लक्षण नहीं है। ऐसी दशा में तरोताजगी और चुस्ती-स्फूर्ति के लिए कुछ उपायों को अपनाना बेहद जरूरी है। सुस्ती और थकान आज की बड़ी आम समस्या है। जिसे देखो, वह यही कहता है कि हरदम थका-थका-सा महसूस करता हूँ। वैसे ज्यादातर लोग थकान को गंभीरता से नहीं लेते हैं, क्योंकि ऐसी आम धारणा है कि थकान एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। लेकिन यह सच नहीं है। विशेषज्ञों का इस बारे में मत है कि थकान किसी-न-किसी कारण से ही उत्पन्न होती है। मौजूदा दौर में हर 5 में से 1 व्यक्ति हरदम रहने वाली सुस्ती और थकान से परेशान रहता है। बहुत से व्यक्तियों में थकान कभी भी दूर न होने वाली समस्या बन जाती है, जो उनके कैरियर को बुरी तरह प्रभावित करती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थकान की समस्या कहीं अधिक देखने को मिलती है। महिलाएं अकसर यह शिकायत करती रहती हैं कि उन्हें सुस्ती और थकान महसूस हो रही है। प्रमुख लक्षण  उनींदापन महसूस करना यानी हर पल

मोटापा दूर करने के लिए करें खान-पान में सुधार हिन्दी में। Improve eating habits to remove obesity in hindi.

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मोटापा दूर करने के लिए करें खान-पान में सुधार हिन्दी में। Improve eating habits to remove obesity in hindi.   मोटापा बढ़ने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है डाइट संबंधी गड़बड़ी। जो लोग अपनी डाइट को लेकर सजग नहीं रहते, स्वाद के लोभ में मनमर्जी से और बिना भूख के भी ज्यादा कैलोरी वाले पदार्थ लेते रहते हैं, उन्हें मोटापा बहुत जल्दी अपनी गिरफ्त में जकड़ लेता है। अतः मोटापे से निजात पाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है डाइट में सुधार। मोटापा से मुक्ति के लिए कौन से पदार्थ खासतौर पर असरदार हैं, जानने के लिए पढ़ें यह विशेष आर्टिकल  शरीर बेडौल होना और वजन अधिक होना मोटापे का सूचक है। यह स्वयं अपने आप में ही मात्र एक रोग नहीं, बल्कि अनेक रोगों का जनक (उत्पन्न करने वाला) है। यदि समय पर मोटापे को काबू में न किया जाए, तो आगे चलकर ब्लडप्रेशर का बढ़ना, मधुमेह (डायबिटीज), गुर्दे के रोग, हृदय रोग, थकान महसूस होना, कुछ कदम चलते ही श्वास फूलने लगना आदि समस्याएं उत्पन्न होना सामान्य बात है। यदि कोई स्त्री मोटापे की शिकार हो जाए, तो श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया), मासिक स्राव की अनियमितता आदि की आशंका बढ़ जात

सुखद सेक्स (Sex) की दुश्मन है फ्रिजिडिटी (Frigidity)

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सुखद सेक्स की दुश्मन है फ्रिजिडिटी  सेक्स से मिलने वाला आनंद मैरिड लाइफ को खुशहाल बनाए रखता है, जबकि इसका अभाव पति-पत्नी की लाइफ में जहर घोल देता है। फ्रिजिडिटी एक ऐसी समस्या है, जिसमें सेक्स की इच्छा ही कम अथवा समाप्त हो जाती है, जिससे खुद तो सेक्स के निराले सुख से वंचित होना ही पड़ता है, भरपूर सहयोग के अभाव में पार्टनर भी इससे वंचित रहने को मजबूर हो जाता है। इसलिए ऐसी किसी भी समस्या को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। फ्रिजिडिटी मैरिड लाइफ में जहर घोलने वाली एक गंभीर समस्या है। दरअसल यह अपने आप में कोई रोग नहीं, बल्कि एक प्रकार का सिम्पटम है, जो शारीरिक कमजोरी, मानसिक थकावट, खून की कमी, पार्टनर के साथ मतभेद आदि कारणों से उत्पन्न हो जाता है। पार्टनर का व्यवहार मन के मुताबिक न होने पर स्त्री या पुरुष में अकसर फ्रिजिडिटी की समस्या धीरे-धीरे अपनी जड़ें जमा लेती है।  ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि फ्रिजिडिटी की समस्या केवल पुरुषों में ही होती है, जबकि ऐसी बात नहीं है। स्त्रियों में भी कई कारणों से सेक्स के प्रति अरुचि हो जाती है और वे धीरे-धीरे इस कदर फ्रिजिडिटी की शिकार हो जाती ह

क्यों दुखदायी बन जाता है महिलाओं का वैवाहिक जीवन (Married Life)

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क्यों दुखदायी बन जाती है महिलाओं की मैरिड लाइफ कई बार विभिन्न शारीरिक-मानसिक और यौन संबंधी कारणों से महिलाओं की यौन सुख के प्रति रुचि नहीं रह जाती, जबकि यह समस्या वैवाहिक जीवन को तबाह कर सकती है। ऐसी दशा में बेहतर यही होगा कि सबसे पहले मूल कारण की तलाश की जाए, फिर उसी के अनुसार समाधान की दिशा में आगे बढ़ा जाए। वैवाहिक जीवन (Married Life) में स्त्री के लिए भी यौन सुख उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना पुरुष के लिए, साथ ही इसके लिए दोनों का एक-दूसरे के प्रति पूर्ण समर्पण भी जरूर होना चाहिए। लेकिन कई बार ऐसी स्थिति देखने को मिलती है, जब स्त्री यौन सुख को लेकर उदासीन हो जाती है या फिर यूँ कहें कि वह जहां तक हो सके यौन संबंध से दूर ही रहने की कोशिश करती है। ऐसी दशा में अकसर पुरुष अपनी उपेक्षा मानकर स्त्री से कटु व्यवहार तक करने को उतारू हो जाते हैं, जबकि जरूरत समस्या को ढूंढ़कर दूर भगाने की होती है।  स्त्रियों में यौन उत्तेजना व यौन लालसा पर बुरा असर डालने वाले कुछ प्रमुख रोग-विकार व स्थितियां इस प्रकार हैं- डायबिटीज   डायबिटीज रोग में नाड़ियां क्रमशः क्षतिग्रस्त होने के

चुनिंदा फल-सब्जियों से लाएं काया में निखार (How to Choose Fine Fruits with Fruits and Vegetables)

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चुनिंदा फल-सब्जियों से लाएं काया में निखार   प्रकृति की ओर से हमें कई ऐसी अनमोल फल-सब्जियां मिली हुई हैं, जो किसी वरदान से कम नहीं हैं। रुचि, मौसम आदि का ख्याल रखते हुए इनका भरपूर मात्रा में सेवन करने वाले को अलग से टाॅनिक आदि लेने की जरूरत नहीं रह जाती। फल-सब्जियों से प्रायः वे सभी विटामिंस, मिनिरल्स आदि मिल जाते हैं, जो विभिन्न रोग-विकारों से निजात दिलाते हैं, चुस्ती-स्फूर्ति बढ़ाते हैं, शरीर को हमेशा तंदरुस्त बनाए रखते हैं तथा आयु में भी बढ़ोतरी करते हैं। एक बार महात्मा गाँधी रवीन्द्रनाथ टैगोर के यहां ठहरे हुए थे। शाम का समय था। दोनों मित्रों का निर्णय हुआ कि घूमने के लिए चला जाए। टैगोर जी ने कहा कि जरा अंदर से आता हूँ। महात्मा गाँधी उनके आने का इंतजार करते रहे, आधा घंटा से अधिक समय गुजर गया। महात्मा गाँधी बरामदे में चहलकदमी करने लगे, तभी खिड़की से उन्होंने देखा कि टैगोर जी कंघी से अच्छी तरह बाल व दाढ़ी को संवारने में व्यस्त हैं। जब वे बाहर आये, तो महात्मा गाँधी ने मित्रता भरे लहजे में कहा-"इस बुढ़ापे में भी सजने-संवरने की अच्छी आदत है।" टैगोर जी ने मुस्कुराते

कायाकल्प करने वाले चुनिंदा आयुर्वेदिक टाॅनिक (Selective Ayurvedic Tonic to Rejuvenate)

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कायाकल्प करने वाले चुनिंदा आयुर्वेदिक टाॅनिक (Selective Ayurvedic Tonic to Rejuvenate) यदि शरीर कमजोर हो, रोग-प्रतिरोधक क्षमता जर्जर हो चुकी हो, तो हम बार-बार बीमार पड़ते रहते हैं। इसलिए आयुर्वेद में स्वास्थ्य रक्षा पर विशेष बल दिया गया है। कई ऐसे आयुर्वेदिक टाॅनिक हैं, जिनका प्रयोग करने से शक्ति-स्फूर्ति और रोग-प्रतिरोधक क्षमता में भरपूर बढ़ोतरी होती है और तन-मन हमेशा निरोग बना रहता है। Tonic एक अंग्रेजी शब्द है, जिसका सामान्य अर्थ है बल बढ़ाने वाली औषधि। Tonic के सेवन से शरीर में शक्ति का संचार होता है, शरीर निरोग रहता है, शारीरिक-मानसिक कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है और सुस्ती दूर होकर स्फूर्ति आती है। आयुर्वेद में कई ऐसे Tonic हैं, जिनका प्रयोग करके ये सभी लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। शक्ति-स्फूर्ति और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले कुछ चुनिंदा आयुर्वेदिक Tonic इस प्रकार हैं। च्यवनप्राश अवलेह ऐसा कहा जाता है कि च्यवन ऋषि ने च्यवनप्राश अवलेह का नित्य सेवन करके ही अपने वृद्ध शरीर की जीर्णता-शीर्णता को दूर करके पुनः यौवन प्राप्त किया था और उनका कायाकल्प हो गया थ

Hair Loss का क्या है कारगर इलाज? तथा बाल घने, काले, व लंबे करने का घरेलू उपचार

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Hair Loss का क्या है कारगर इलाज? तथा बाल घने, काले, व लंबे करने का घरेलू उपचार  Hair Loss की समस्या को Control करने के लिए आंतरिक व बाहरी-दोनों ही स्तर पर इलाज जरूरी है। आंतरिक इलाज के रूप में खान-पान में सुधार लाने के साथ-साथ बाहरी इलाज के रूप में कुछ कारगर घरेलू योगों को प्रयोग में लाने से स्थायी तौर पर इस समस्या से निजात मिल जाती है तथा बाल काले, घने व आकर्षक हो जाते हैं। बाल घने, काले, लंबे और खूबसूरत हों-सबकी हमेशा यही चाहत रहती है। लेकिन यह चाहत यूँ ही पूरी नहीं होती है, इसके लिए सजग होना पड़ता है। वायु प्रदूषण, खान-पान संबंधी गलत आदतों व गलत रहन-सहन का बालों पर बहुत बुरा असर पड़ता है और असमय ही बाल टूटने व झड़ने लगते हैं, यहां तक कि धीरे-धीरे गंजापन जैसी समस्या तक का सामना करना पड़ जाता है। इसके साथ ही पोषण की कमी से भी बाल तेजी से झड़ने लगते हैं। अतः प्रदूषण आदि से बचाव के साथ-साथ भोजन में आयरन, एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ‘सी’ को शामिल करना जरूरी है। एनीमिया और हाइपोथायराॅइड जैसे रोग भी बाल झड़ने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। अतः हाइपोथायराॅइड के लिए आयोडीन,

जानें कैसा हो खान-पान। वातज, पित्तज और कफज रोगों को काबू में रखने के लिए, How to control vataj, pittaj and kaphaj disease.

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जानें कैसा हो खान-पान।  वातज, पित्तज और कफज रोगों को काबू में रखने के लिए, How to control vataj, pittaj and kaphaj disease. आयुर्वेद में रोगों के मुख्य रूप से 3 भेद माने गये हैं- वातज, पित्तज व कफज और इन तीनों को ही काबू में रखने के लिए खान-पान में सुधार लाना बहुत जरूरी है। किस रोगी के लिए कौन से पदार्थ फायदेमंद हैं और कौन से पदार्थ नुकसानदेह, जानने के लिए पढ़ें यह विशेष आर्टिकल आयुर्वेद एक विज्ञान है, जो प्रकृति के नियमों व सिद्धांतों पर आधारित है। यह सभी तत्वों को पंचभौतिक मानता है। दूसरे शब्दों में यूँ कहें कि सजीव व निर्जीव सभी पदार्थ आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी इन 5 तत्वों से ही बने हुए हैं। अंतर सिर्फ इतना ही है कि विभिन्न पदार्थों में इनका अनुपात भिन्न-भिन्न होता है। इन्हीं पंचतत्वों से आयुर्वेद के त्रिदोष सिद्धांत की रचना हुई। पंचभूतों में से पृथ्वी और जल मिलकर शरीर में कफ दोष का निर्माण करते हैं,अग्नि तत्व से शरीर में पित्त दोष बनता है तथा वायु और आकाश वात दोष का निर्माण करते हैं। वात दोष, पित्त दोष और कफ दोष वास्तव में 3 प्रकार की ऊर्जाएं हैं, जिनके सामान्य

सर्दी का मौसम और सेहत की देखभाल (Winter Weather and Health Care)

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सर्दी का मौसम और सेहत की देखभाल (Winter Weather and Health Care) नवम्बर माह से धीरे-धीरे सर्दी बढ़ने लगती है और यदि मौसम में आए इस बदलाव के साथ-साथ अपने खान-पान, पहनावे और रहन सहन में बदलाव न लाया जाए, तो इसका सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए सर्द मौसम में मौसम के मिजाज को समझते हुए उसके अनुसार सेहत की देखभाल को लेकर पूरी सावधानी बरती जानी चाहिए। शरद ॠतु के बाद हेमंत ॠतु का आगमन होता है, जब धीरे-धीरे सर्दी बढ़ने लगती है। 16 नवम्बर से 15 जनवरी तक का समय हेमंत ॠतु का होता है, जिसे शीत ऋतु का भी नाम दिया जाता है। यह आदान काल की अंतिम ऋतु है। आदान काल में अंत में सूर्य पृथ्वी से दूर हो जाता है, अतः गरमी कम हो जाती है और चन्द्रमा का प्रभाव पृथ्वी पर बढ़ जाता है, जिससे सर्दी बढ़ जाती है। चूंकि बरसात का मौसम वातावरण को नम बना चुका होता है, अतः इस समय हर ओर हरियाली छायी रहती है। यही हरियाली मौसम को और भी ठंडा बना देती है। ऐसे में खान-पान, रहन-सहन, पहनावा आदि को लेकर सावधान रहना बहुत जरूरी है। सर्दी के मौसम में जठराग्नि (Gastrodynia) तीव्र रहती है, अतः शुद्ध घी, दूध आदि भा