Posts

Showing posts from March, 2020

पौरुष ग्रन्थि का बढ़ जाना (ENLARGEMENT OF PROSTATE GLAND), लिंग की चमड़ी उलट जाना, लिंग मुण्ड का न खुलना, (PHIMOSIS), जन्मजात निरुद्धता (CONGENITAL PHIMOSIS)

Image
  पौरुष ग्रन्थि का बढ़ जाना (ENLARGEMENT OF PROSTATE GLAND) रोग परिचय कारण एवं लक्षण:- इसमें पौरुषग्रन्थि बगैर सूजन के बढ़ जाती है। यह रोग बिना कीटाणुओं के आक्रमण से हो जाता है। यही कारण है कि इसमें दर्द और ज्वर आदि नहीं होता है। प्राय: यह रोग 50 वर्ष की आयु के बाद ही होता है। प्रारम्भ में मूत्र में कुछ कठिनाई और रुकावट सी आती है, बाद में मूत्र बिना कष्ट के, सामान्य रूप से आने लगता है। रोग बढ़ जाने पर मूत्र बार-बार आता है, मूत्राशय मूत्र सें पूरा खाली नहीं होता, कुछ न कुछ मूत्र मूत्राशय में रुका ही रह जाता है। मूत्र करते समय रोगी को ऐसा महसूस होता है कि जैसे कोई चीज मूत्र को बाहर निकलने से रोक रही है। इस रोग के मुख्य कारण अत्यधिक मैथुन तथा अत्यधिक सुरापान है। यह रोग प्रायः तर मौसम (तर जलवायु) में रहने वालों को अधिक हुआ करता है। चिकित्सा:- इस रोग में खट्टे, ठन्डे और तर भोजनों और तरकारियों तथा देर से पचने वाले भोजनों यथा-दही, मट्टा, गोभी, बैंगन, अरबी (घुइयाँ) आदि का पूर्णतयः निषेध है। रोगी को मैथुन न करने की हिदायत दें। 'सोये के तैल' की मालिश करें। यदि औषधियों से रोगी ठीक न हो

हर्निया का आयुर्वेदिक उपाय । Ayurvedic treatment of hernia ।

Image
हर्निया के लक्षण और कारण, Harniya ke lakshan & karan in hindi: हर्निया एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक वसायुक्त ऊतक या अंग एक प्रावरणी के माध्यम से धकेल दिया जाता है, मांसपेशियों में एक कमजोर स्थान या विशिष्ट अंग के आसपास संयोजी ऊतक पाया जाता है। इसके परिणामस्वरूप कई लक्षण दिखाई देते हैं, जिनमें से सबसे आम है, सभी के पेट में दर्द होता है। मुख्य तौर पर, हर्निया का सबसे मुख्य कारण ऊतक या अंगों के आसपास दबाव होता है, जो उन्हें विस्थापित करने और मांसपेशियों के माध्यम से निचोड़ने के लिए पर्याप्त मजबूत होता है। नतीजतन, यहां तक ​​कि खांसी, छींकने, या अपने पेट की मांसपेशियों के लिए उचित तैयारी के बिना भारी वस्तुओं को उठाने के रूप में कुछ भी इस स्थिति का कारण बन सकता है। अतः इस पर, तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है जो आप हर्निया के लिए कुछ बुनियादी घरेलू उपचारों पर भरोसा कर सकते हैं। हर्निया आपके शरीर के एक विशिष्ट क्षेत्र पर लागू अत्यधिक दबाव या तनाव के कारण होता है, कुछ चीजें हैं जिनके कारण हर्निया होने की संभावना अधिक होती है।  उदाहरण के लिए- एक महिला को जन्म देने के बाद, शर

मुंह की साफ-सफाई बेहद जरूरी है। Cleanliness of the mouth is very important ।

Image
मसूड़ों व दांतों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जरूरी है, मुंह की साफ-सफाई :- सुडौल व चुस्त-दुरुस्त शरीर ही अच्छी सेहत का मतलब नहीं होता, बल्कि इसमें शामिल शरीर के सभी अंगों की सेहत होती है। इसी लिए हमें सेहतमंद बने रहना है तो शरीर के सभी अंगों की साफ-सफाई पर ध्यान देना होगा। इस कड़ी में मुंह की साफ-सफाई का सबसे पहले नंबर आता है। अपने दांतों व मुंह की साफ-सफाई को लेकर जो लोग लापरवाही बरतते हैं, उन लोगों के मुंह से बदबू आने की समस्या, दांत पीले व दाग-धब्बे होने की समस्या, कैविटी, मसूड़ों से मवाद व खून आने की समस्या, दांतों में दर्द व दांतों में कीड़ा लगना आदि कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।और इन सबके अलावा मुंह की साफ-सफाई में लापरवाही बरतने की वजह से उत्पन्न होने वाली समस्याएं जैसे हार्ट डिजीज सहित कई और गंभीर किस्म की बीमारियों का भी खतरा बढ़ सकता है। अतः मुंह व दांतों की साफ-सफाई बहुत ही जरूरी है। मुंह की साफ-सफाई से संबंधित निम्नलिखित सुझावों पर जरूर ध्यान देना चाहिए। रोजाना रात को सोने से पहले तथा सुबह को ब्रश जरूर करना चाहिए। ब्रश और टूथपेस्ट