मौजूदा दौर में डिप्रेशन का प्रकोप बहुत ज्यादा देखने को मिल रहा है। आज 10 में से 7 लोग डिप्रेशन या अवसाद के शिकार होते हैं। कंपटीशन, देखा-देखी, दिखावेबाजी के चलते नैतिक मूल्यों को खोकर भी आगे बढ़ने की होड़ तनावपूर्ण माहौल बना देती है। काम-काज के स्ट्रेस व दबाव (वर्कलोड) के चलते खान-पान, नींद व रहन-सहन (लाइफ स्टाइल) सब प्रभावित होते हैं।
डिप्रेशन एक ऐसी समस्या है, जिसका कुछ लोगों को पता ही नहीं लग पाता कि वे इससे ग्रस्त हैं। यह एक मनोदैहिक विकार है। उदासी, थकान, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी, दुख, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, हताशा, आनंद देने वाली गतिविधियों में भाग न लेना, बहुत ज्यादा या बहुत कम नींद लेना, कमजोरी, हितकर भोजन में अरुचि, चिंता, दूसरों से अलग रहना, बेचैनी, स्पष्ट रूप से सोचने या निर्णय लेने में परेशानी, काम में या स्कूल-काॅलेज में खराब प्रदर्शन, अपराधबोध, मन में आत्मघाती विचार, सिर दर्द रहना, मांसपेशियों में दर्द रहना, किसी भी दवा का या शराब का दुरुपयोग करना आदि लक्षण डिप्रेशन से प्रभावित व्यक्तियों में देखने को मिल सकते हैं।
आहार का सर्वाधिक असर हमारे तन व मन पर पड़ता है। सात्विक आहार ही सात्विक विचार व प्रकृति बना सकता है और हम डिप्रेशन सहित सभी प्रकार के मनोरोगों से पूरी तरह सुरक्षित रह सकते हैं।
- भोजन संतुलित, पौष्टिक, ताजा व सुपाच्य होना चाहिए।
- मनोदशा को ठीक करने वाला भोजन ट्रिप्टोफैन, ओमेगा-3 फैटी एसिड और फोलिक एसिड से भरपूर होना चाहिए।
- शतावरी, हल्दी, कद्दू के बीज आदि सेरेटोनिन लेवल को बढ़ाते हैं, जिससे मन-मस्तिष्क को अच्छा महसूस होता है।
- बादाम, काजू व ग्रीन टी (सुबह-सुबह) लेने से तनाव कम होता है
- विटामिन से भरपूर भोजन लेना चाहिए। एंटीऑक्सीडेंट विषाक्त तत्व निकालकर ब्रेन की वर्किंग कैपेसिटी बढ़ा देते हैं और इम्यून सिस्टम में सुधार लाकर एनर्जी बूस्टर का काम करते हैं।
- मैग्नीशियमयुक्त पदार्थों का प्रयोग करें, ये दिमाग में खुशी की भावना लाने वाले होते हैं।
- भोजन में ताजा फल-सब्जियां भरपूर मात्रा में शामिल करें। चोकरयुक्त मोटे आटे से बनी चपाती खाएं।
- भोजन में वसा के लिए ड्राई फ्रूट्स, गोदुग्ध व गोघृत ही उपयोग में लाएं। रिफाइंड ऑयल व हाइड्रोजनिक ऑयल, ट्रांस फैट आदि का प्रयोग न करें।
- फलों का जूस, सब्जियों का जूस व सूप और छाछ को भोजन में शामिल करें। कार्बोहाइड्रेट आर्टिफिशियल स्वीटनर कोक आदि का प्रयोग न करें।
- चीनी का प्रयोग न करें। प्राकृतिक रूप से मीठे फल, शहद आदि का उपयोग करें।
- कैफीन, निकोटिन, शराब व अन्य प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
- परिवार के साथ बैठकर घर में पकाया हुआ भोजन प्रसन्नता पूर्वक लें।
- फास्ट फूड, जंक फूड, मैदा से बने हुए सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ आदि झूठी भूख जगाने का कार्य करते हैं और व्यक्ति बिना भूख के भी खाने लगता है। अतः इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए। वैज्ञानिक खोज में यह सिद्ध हुआ है कि अजीनोमोटो (एक प्रकार का मसाला जो तरह-तरह के फूड में डाला जाता है) मस्तिष्क पर हानिकारक प्रभाव डालता है और इसकी लत लग जाती है। जिस खाद्य सामग्री में भी इसे डाला जाता है, उसे बार-बार खाने की इच्छा होती है और धीरे-धीरे व्यक्ति को डिप्रेशन का शिकार बना देती है। कुछ ऐसे चुनिंदा खाद्य पदार्थ भी हैं, जिनका प्रयोग डिप्रेशन में खासतौर पर फायदेमंद है।
चाॅकलेट: चाॅकलेट में फिनाइलेथाइलामाइन नामक तत्व पाया जाता है, जो मस्तिष्क को आराम देता है। लेेेकिन ध्यान रहेे, इसका ज्यादाा प्रयोग मोटापा बढ़ा सकता है, क्योंकि 20 ग्राम चाॅॅॅकलेट से 150 कैलोरी प्राप्त होती है। अतः सीमित मात्रा में ही इसका प्रयोग होना चाहिए।
ओटमील: ओटमील में पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है, जो शरीर को सेरेेटोनिन प्ररोड्यूस करने में मदद करता है। इससे मूड अच्छा होता है।
सोलेमन मछली: जब भी डिप्रेशन हो, तुरंत ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा भोजन मेंं बढ़़ा देेेनी चाहिए। यह सोलेमन व वालनट्स में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा हेरिंग, लेेेक, ट्राउट, सार्डिन, मैकेेेरल या टूना का भोजन में प्रयोग किया जा सकता है।
पालक: जब भी चिड़चिड़ापन बढ़े भोजन में आयरन की मात्रा बढ़ा देेेनी चाहिए। पालक में आयरन व मैग्नीशियम पाए जाते हैं। पालक मस्तिष्क को शांत व पाचन तंत्र कोो मजबूत बनाता है।
ग्रीन टी: ग्रीन टी में थियानाइन नामक एक प्रकार का एमीनो एसिड होता है, जो बाॅॅडी व ब्रेन को रिलैक्स करता है।
अखरोट: यदि गुस्सा व लड़ाई-झगड़े का मूड हो, तो अखरोट खाएं। इसमें एल आर्जिनाइन होता है, जो नाइट्रिक एसिड में बदल जाता है। यह ब्लड वेेेसल्स को रिलैक्स रखने में मदद करता है।
बादाम: बादाम मैग्नीशियम का बेहतर स्रोत है।
दही: दही की लस्सी लेने सेे तुरंत तनाव कम होता है।
ब्ल्यूबेरी: मीठा खाने से स्ट्रेेेस रिलीज होता है। विटामिन 'सी' एंटीऑक्सीडेंट डिप्रेशन दूर करता है।
एवोकाडो: एवोकाडो में ओमेगाा-3 और फोलेट पाए जाते हैं, जो डिप्रेशन सेे लड़नेे में मदद करते हैं। इसमें पोटेशियम और मोनो अनसैैचुरेटेेेड फैट भी होते हैं, जो भावनाओं को काबू करने में मदद करते हैं।
टमाटर: लाइकोपेन एंटीऑक्सीडेंट डिप्रेशन लड़ने में मददगार होता है। स्टडी में पाया गया है कि जो लोग सप्ताह में दो से छः बार टमाटर खाते हैं, वे 46 प्रतिशत तक कम डिप्रेशन से प्रभावित होते हैं।
साबुत अनाज: कार्बोहाइड्रेट मूड स्विंग की परेशानी रोकता है।
नारियल: नारियल में शक्तिशाली इलेेक्ट्ररोलाइट्स होते हैंं, जो डिप्रेशन से लड़नेे में मदद करते हैं। अतः ताजा नारियल पानी पिएं और भोजन मेंं नारियल तेल का प्रयोग करें।
दूध: गाय का दूूूध प्रोटीन, कैल्शियम व विटामिन 'डी' का अच्छा स्रोत है। यह डिप्रेशन से दूूूर रखता है और अच्छी नींद आती है।
इस प्रकार भोजन में थोड़ा बदलाव लाने से डिप्रेशन से बचाव हो सकता है और यदि डिप्रेशन हो गया हो, तो कुछ दिनों के प्रयोग से अपने आप ही दूर भी हो सकता है।
यौगिक चिकित्सा
डिप्रेशन एक मनोदैहिक विकार है, अतः शारीरिक व मानसिक स्तर पर प्रभावशाली सभी क्रिया-कलापों का इस पर प्रभाव पड़ता है। शारीरिक श्रम का योगासनों के माध्यम से शारीरिक प्रभाव, प्राणायाम व ध्यान आदि का मन पर प्रभाव तथा बंध आदि का अंत:स्रावी ग्रंथियों के माध्यम से मनोदैहिक प्रभाव पड़ता है। कुल मिलाकर योग के भिन्न-भिन्न अंग भिन्न-भिन्न रूपों से डिप्रेशन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
योगासन
हलासन, पश्चिमोत्तानासन, सर्वांगासन, उत्तानपादासन, नौकासन, चक्रासन, भुजंगासन, उष्ट्रासन, धनुरासन तथा सूर्य नमस्कार आदि सभी आगे व पीछे झुकने वाले आसन लाभदायी हैं। इन योगासनों से एड्रीनल ग्लैंड पर प्रभाव पड़ता है तथा थायराॅइड पर भी थोड़ा-बहुत प्रभाव देखने को मिलता है।
वैज्ञानिक अनुसंधान में पाया गया है कि सभी गतिशील शारीरिक व्यायाम एंडोर्फिन रिलीज़ करते हैं और मूड अच्छा करते हैं।
प्राणायाम
प्राणायाम करने से भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन अंदर जाता है और प्रत्येक कोशिका तक शुद्ध वायु व शुद्ध रक्त पहुंच पाता है। इससे दूषित वायु, फ्री रेडिकल्स व टाॅक्सिंस बाहर निकलते हैं तथा मस्तिष्क में भी ब्लड सप्लाई भलीभांति हो पाती है। नाड़ीशोधन प्राणायाम शांतिपूर्ण स्थिति में लाने में सक्षम है, उज्जायी प्राणायाम शांति प्रदान करने वाला प्राणायाम है तथा भस्त्रिका व कपालभाति प्राणायाम ऊर्जा प्रदान करते हैं।
इस प्रकार योगासन व प्राणायाम का कुछ दिनों तक अभ्यास करने के बाद षटकर्म में से आवश्यक क्रियाएं की जानी चाहिए।
षटकर्म
नेती, धौती, बस्ति, त्राटक, नौली व कपालभाति-ये षटकर्म हैं। इनमें से नेती, धौती, त्राटक व कपालभाति का प्रयोग डिप्रेशन में किया जाना उचित है, साथ ही कुंजल क्रिया भी लाभदायी होती है।
बंध
मूलबंध, जालंधर बंध और उड्डियान बंध-ये त्रिबंध हैं। मूलबंध का प्रयोग ऊर्जा बढ़ाता है, इसमें मनोमस्तिष्क में दबे हुए अनुभवों को ऊपर लाने का प्रयास होता है, जबकि खालीपन की भावना जो अकसर डिप्रेशन के रोगी में रहती है, उड्डियान बंध उसको कम करता है तथा यह डिलीवरी के बाद होने वाले डिप्रेशन में भी लाभदायी है।
इन सबके अलावा एक और मुख्य बिंदु है लाइफ स्टाइल में बदलाव, इसके बिना डिप्रेशन का उपचार अधूरा-सा रहता है।
लाइफ स्टाइल
- शरीर को थोड़ा थकाएं, परिश्रम करें। व्यायाम, योगासन या अन्य किसी गेम आदि में रुचि लें, जिससे पसीना आए।
- शाकाहारी भोजन लें। फल-सब्जियां आदि क्षारीय होती हैं। अम्लीय प्रकृति के भोजन से परहेज बरतें। स्पाइसी व रूखा-सूखा और बहुत ज्यादा फ्राइड भोजन न लें।
- भोजन रोजाना तय समय पर ही लें। दो भोजन के बीच में 6 घंटे से लंबा अंतराल न रखें।
- रात में रोजाना तय समय पर सोएं और पूरी नींद लें। तय समय पर सोना व जागना डिप्रेशन का बहुत ही प्रभावी उपचार है।
ध्यान (मेडिटेशन)
रोजाना सुबह-शाम 15-15 मिनट तक ध्यान का अभ्यास करें। किसी बिंदु पर, मोमबत्ती आदि या अन्य किसी ऑब्जेक्ट पर ध्यान लगाएं। श्वास-प्रश्वास पर ध्यान आसानी से लग जाता है।
ध्यान आदि लगातार 6 माह तक करना चाहिए। शरीर, सूक्ष्म शरीर, कारण शरीर (देह, मन-चेतना, आत्मा) इन तीनों पर क्रमशः धीरे-धीरे ध्यान का सकारात्मक प्रभाव बढ़ता जाता है तथा पांचों कोष-अन्नमय, मनोमय,प्राणमय, विज्ञानमय व आनंदमय और इनमें उपस्थित ऊर्जा तत्व (वायु) भी प्रभावित होता है। प्राण वायु, उदान वायु, समान वायु, व्यान वायु व अपान वायु इन सबका समग्र संचालन व सामंजस्य ध्यान से संभव है। लगातार ध्यान लगाना डिप्रेशन दूर करने का सबसे बेहतर उपाय है।
अन्य उपाय
- मुस्कुराते रहें, हंसते रहें।
- टी.वी. से दूर रहें, यह शरीर व मन को सुस्त करता है।
- निष्काम कर्म करें अथवा किसी भावनात्मक संतुष्टि देने वाले सामाजिक या आध्यात्मिक उद्देश्य से जुड़ें। वैज्ञानिक खोज से यह सिद्ध हो चुका है कि किसी की मदद आदि भावनात्मक रूप से मस्तिष्क पर पाॅजिटिव इफेक्ट डालती है और मस्तिष्क से खुशी देने वाले हार्मोंस का स्राव होता है।
- जिन कार्यों से प्रसन्नता मिले, उनमें भरपूर दिलचस्पी लें, जैसे घूमने जाना, पेंटिंग, ड्राइंग, रीडिंग, कुकिंग, बागवानी आदि।
- अपने मन को सांसारिक विचारों से हटाने के लिए कोई भजन या मधुर संगीत सुनें। सैड साॅन्ग (उदासीभरे गीत) न सुनें।
धन्यवाद!
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